क्रिकेट में जब भी “डेड बॉल” का जिक्र होता है, तो कई लोग इसे समझने में थोड़ा उलझ जाते हैं। डेड बॉल एक ऐसा नियम है जो खेल के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए जानें कि डेड बॉल क्या है और इसके नियम क्या हैं।
डेड बॉल का मतलब क्या होता है?
डेड बॉल का मतलब है कि उस समय गेंद पर कोई भी कार्रवाई नहीं होगी। इसका सीधा सा मतलब है कि गेंद न तो बल्लेबाज के लिए खेली जा सकती है, न ही उस पर रन बनाए जा सकते हैं। जैसे ही अंपायर डेड बॉल का संकेत देता है, खेल को उस पल के लिए रोक दिया जाता है।
डेड बॉल कब होती है?
डेड बॉल की घोषणा तब की जाती है जब कोई असामान्य घटना मैदान पर होती है, या फिर खेल के सामान्य प्रवाह में बाधा आती है। उदाहरण के लिए, अगर गेंदबाज गेंद डालने से पहले ही फिसल जाता है या फिर गेंद बल्लेबाज के शरीर पर लगकर खेल से बाहर हो जाती है, तब डेड बॉल की घोषणा होती है। इसके अलावा, किसी खिलाड़ी की चोट लगने पर भी डेड बॉल दी जा सकती है।
अंपायर कैसे करता है डेड बॉल का संकेत?
जब डेड बॉल का फैसला होता है, तो अंपायर अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर संकेत देता है। यह एक विशिष्ट संकेत है जो सभी खिलाड़ियों और दर्शकों को बताता है कि अब गेंद पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। यह क्रिकेट में एक सामान्य प्रक्रिया है, और इसे समझना जरूरी है ताकि खेल के दौरान किसी भी असमंजस से बचा जा सके।
डेड बॉल के मुख्य कारण
डेड बॉल के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं:
- गेंदबाज की गलती: गेंद डालते समय गेंदबाज का संतुलन बिगड़ना।
- बल्लेबाज द्वारा खेल नहीं खेलना: जब बल्लेबाज किसी कारण से शॉट नहीं खेलता।
- मैदान पर कोई अवरोध: जैसे कोई बाहरी चीज या खिलाड़ी का फिसल जाना।
- अंपायर का हस्तक्षेप: अगर अंपायर को लगता है कि खेल में कोई गड़बड़ी हुई है।
डेड बॉल का खेल पर असर
डेड बॉल की घोषणा से खेल पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस समय पर किसी भी रन को नहीं गिना जाता और न ही बल्लेबाज आउट माना जाता है। अगर गेंदबाज ने नो बॉल या वाइड फेंकी हो, तो डेड बॉल का असर नहीं होता, और अतिरिक्त रन दिए जाते हैं। डेड बॉल का मुख्य उद्देश्य खेल को निष्पक्ष बनाए रखना होता है ताकि किसी भी टीम को अनुचित लाभ न मिले।